परमेश्वर को कभी स्मरण न रखना!



क्योंकि परदेशी मेरे विरुद्ध उठ खड़े हुए हैं, और खूंखार मनुष्य मेरे प्राण के ग्राहक बन गए हैं। उन्होंने परमेश्वर को अपने सम्मुख नहीं रखा। भजन 54:3

प्रदीप एक अच्छा छात्र है और वह अपनी पढ़ाई में भी काफी अच्छा है। परन्तु इसकी उसे कोई परवाह नहीं होती थी कि कक्षा में कौन आता है, चाहे वह शिक्षक हो या प्रधानाचार्य। उसका ध्यान सिर्फ अपनी ही बातों में रहता था।

हम परमेश्वर की बातों पर कितना ध्यान देते हैं? यदि हम परमेश्वर और उनकी आज्ञाओं को नज़रअंदाज़ करते हैं, तो जब हम क्लेश और संकट में होते हैं तब वह हम पर हँसेंगे (नीति 1: 25-26)। यदि हम परमेश्वर और उनकी व्यवस्थाओं को भूल जाते हैं, तो वह हमारी सन्तानों को भूल जाएँगे (होशे 4:6)!
यदि हम परमेश्वर को अपने जीवन में मार्गदर्शन करने की अनुमति देते हैं, तो वह हमें सही रास्ते पर चलने का निर्देश करेंगे (नीति 3:6)।

जो परमेश्वर को कभी स्मरण नहीं रखते, परमेश्वर भी उन लोगों को कभी स्मरण नहीं रखेंगे। परमेश्वर उन लोगों के लिए मार्गदर्शक होंगे जो हमेशा उनको खोजते हैं!

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, मेरे जीवन के सभी क्षेत्रों में आपको भी शामिल करते हुए, मेरे हर कार्य में आपकी इच्छा जानकर, उसके अनुसार जीने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!

(translated from English to Hindi by Sheeba Robinson)

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