उड़ के चले जाना



भला होता कि कबूतर के समान मेरे भी पर होते, तो मैं उड़ जाता और चैन पाता! भजन 55:6

मैं भी अपने बचपन में बहुत चाहता था कि काश...! मैं भी पक्षियों की तरह उड़ पाता। बहुत वर्षों के बाद जब मुझे हवाई जहाज़ में यात्रा करने का अवसर मिला तो मैंने सोचा, पक्षियों का भी ऐसा ही अनुभव होगा।

जीवन के कठिन समयों के बीच में हमें भी अक्सर कहीं न कहीं भाग जाने की इच्छा होती है। दाऊद भी यहाँ इसी तरह के अनुभव से गुज़र रहे थे।

परन्तु जो लोग यहोवा पर भरोसा करते हैं, वे उकाबों के समान पंख फैलाकर ऊँचाई पर उड़ेंगे (यशा 40:31)।
तब प्रभु यीशु ने कहा, "हे सब थके और बोझ से दबे लोगो, मेरे पास आओ, मैं तुम्हें विश्राम दूँगा" (मत्ती 11:28)।

यह दुनिया हमारा घर नहीं है। एक दिन हम यहाँ से उड़ के चले जाएँगे और हमेशा के लिए विश्राम पाएँगे (भजन 90:10)।

मैं उस प्यारी सलीब का रहूँ वफादार,-
सिपाही हमेशा ज़रूर,
जब तक मेरा मसीह न करेगा मुझे,
अपने अब्दी जलाल में मंज़ूर।

जब तक हम पृथ्वी पर जीवित हैं, तब तक हमारे मन में विश्राम पाने की चाह हमेशा रहेगी!

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, मुझे अपनी प्रतिदिन की समस्याओं को भूलकर हमेशा आप में विश्राम पाने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!

(translated from English to Hindi by Sheeba Robinson)

Comments

Popular posts from this blog

Who is truly wise?

What is your good name?

God doesn’t exist!?