प्रतिफल पाने योग्य जीवन !

B. A. Manakala

और मनुष्य कहेंगे, "निश्चय, धर्मी को फल मिलता है; निश्चय, परमेश्वर है जो पृथ्वी पर न्याय करता है। भजन 58:11

"मेरी बेटी ने बहुत अच्छा गाया था; उसे उस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मिलना चाहिए था", चर्च में बच्चों की प्रतियोगिता के बाद एक बच्चे के माता-पिता को मैंने ऐसा कहते सुना।

जो परमेश्वर के लिए सच्चाई से जीवन बिताते हैं, उन लोगों को प्रतिफल मिलता है (भजन 58:11)। परन्तु यह केवल देनेवाला ही यह तय कर सकते हैं कि किस को प्रतिफल दिया जाना चाहिए और क्या प्रतिफल होना चाहिए। प्रतिफल पाने के लिए कोई भी परमेश्वर को प्रेरित नहीं कर सकता है। लेकिन आप एक काम कर सकते हैं: "जो कुछ तुम करते हो, उस कार्य को मनुष्यों का नहीं वरन् प्रभु का समझकर तन-मन से करो, यह जानते हुए कि तुम प्रभु से प्रतिफल अर्थात् मीरास पाओगे। तुम प्रभु मसीह ही की सेवा करते हो।" (कुलु 3:23-24)

इनाम पाने के खातिर, मनुष्यों को खुश करने के लिए आप क्या-क्या करते हैं?

हम स्वर्ग में प्रतिफल पाने के लिए परमेश्वर को प्रेरित नहीं कर सकते, जबकि हम मनुष्यों को प्रभावित करते हुए पृथ्वी पर कई पुरस्कार जीत सकते हैं!

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, चाहे मैं कोई पुरस्कार जीतूँ या नहीं, मुझे आपकी और दूसरे लोगों की सेवा ईमानदारी से करने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!

(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)

Comments

Popular posts from this blog

Who is truly wise?

What is your good name?

God doesn’t exist!?